मथुरा वृन्दावन का world प्रसिद्द TOUR
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मथुरा और वृन्दावन भारत वर्ष में ही नहीं वरन विश्व में भी बहुत प्रसिद्द है क्योकि भगवान श्री कृष्ण ने मथुरा में जन्म लिया था मथुरा से 40 कि मी० की दूरी पर बरसाना में उनकी परम अराध्या श्री राधाजी ने जन्म लिया था दोनों अटूट प्रेम के बंधन की वजह से जोड़ी विश्व प्रसिद्द हो गयी उनके प्रेम की गाथाये आज भी ब्रिज की गलियो में शोर से कई कई परम्पराओ के रूप में मनाई जाती है यहाँ की होली तो विश्व में प्रसिद्ध है इसे देखने के लिए कई देशो से लोग आते है उनमे से कुछ तो ऐसे होते है जो कि यही यही के होकर रह जाते है उनके हृदय में राधा और कृष्ण की मूरत बस जाती है वे यहाँ की मांटी में रच पच जाते है यहाँ के पहनावे को ही अपना लेते है
yamuna in mathura |
बिना यमुना मैया के राधा कृष्ण का प्रेम अधूरा है क्योकि श्याम यमुना के तट पर जब बंशी बजाते थे तब राधा बंशी की आवाज़ सुनकर भागी चली आती थी घंटो घंटो एकचित होकर बंसी को सुनना राधा को अच्छा लगता था सिर्फ राधा ही नहीं आस पास के मोर ,पंछी और उनकी गाये और के सभी प्राणी बंसी की धुन पर नाचते थे उस समय ऐसा लगता था जैसे प्रकृति वनही कृष्ण के साथ नाच रही हो तब राधा उनकी बांसुरी को लेकर भाग जाती थी और कृष्ण उनके पीछे पीछे भागते थे ये बड़े ही अद्भुत दृश्य थे उस समय देवता देखकर दांतो तले उंगली दबाते थे कि पूरी सृष्टि को नचाने वाला आज स्वयं एक लड़की के पीछे भाग रहा है स्वयं यमुनाजी भी कृष्ण की पटरानी थी वह सब जानती थी कि प्रभु यह सब लीला कर रहे है कृष्ण जब छोटे थे तब स्वयं गायो को चराने वन में ले जाते थे गाये भी कृष्ण से बड़ा ही प्रेम करती थी और कृष्ण के कंधे पर अपना सिर रख देती थी कृष्ण उन्हें अपने गले से लगाकर प्यार करते थे यह सब देखकर ब्रह्मा को भी मति भ्रम हो गया और सोचने लगे की भगवान ऐसा नहीं हो सकता जो वन में मारा मारा फिर रहा है और सखाओ के साथ खेलता है और थोड़े से मक्खन के पीछे चोरी करता है तब ब्रह्मा ने सारी गाय और बछड़े चुरा लिए मगर कृष्ण तो साक्षात ईश्वर थे वे सब समझ गए उन्होंने अपनी माया शक्ति के माध्यम से फिर से गाय और बछड़े बना दिए तब ब्रह्माजी का भ्रम टूटा और कृष्ण से अपने कृत्य के लिए माफ़ी मांगी तभी तो उनको मायाधीश कहा जाता है आगे कृष्ण ने कंस का वध करके मथुरा को राक्षसो से मुक्ति दिला दी यहाँ के मंदिरो में बांके बिहारीजी का मंदिर , रंगजी का मंदिर ,टेड़े खम्बे वाला मंदिर,प्रेम मंदिर ,पागल बाबा का मंदिर ,वैष्णो माता का मंदिर ,बिरला मंदिर ,गायत्री मंदिर ,भूतेश्वर महादेव का मंदिर ,रंगेश्वर महादेव का मंदिर और सबसे प्रसिद्ध कृष्ण जन्म भूमि का मंदिर ,द्वरिकाधीशजी का मंदिर ,अक्षय पात्र मंदिर और इस समय बन रहा भारत का सबसे उँच्चा मंदिर चंद्रोदय मंदिर अत्यधिक प्रसिद्ध है यहाँ टूर की दृष्टि से बहुत कुछ देखने के लिए है यह होटलों की कोई कमी नहीं है जिससे रहने खाने पीने में कोई दिक्कत नहीं आती है कृष्ण जन्माष्टमी पर तो यहाँ के जन वासियो की तरफ से पूरे ब्रिज में हजारो भंडारों का आयोजन होता है किसी को भी भी खाने पीने के लिए एक रुपया भी खर्चा करने की जरूरत नहीं है अतः यहाँ सम्पूर्ण रूप से राधा और कृष्ण का नाम हर ओर गूजता सुनाई पड़ता है