प्रसिद्द tour प्रसिद्ध TOUR

Monday, February 15, 2016

Mathura Vrindavan world renowned TOUR




मथुरा वृन्दावन का world प्रसिद्द TOUR
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मथुरा और वृन्दावन भारत वर्ष में ही नहीं वरन विश्व में भी बहुत प्रसिद्द है क्योकि भगवान श्री कृष्ण ने मथुरा में जन्म लिया था मथुरा से 40 कि मी० की दूरी पर बरसाना में उनकी परम अराध्या श्री राधाजी ने जन्म लिया था दोनों  अटूट प्रेम के बंधन की वजह से  जोड़ी विश्व प्रसिद्द हो गयी उनके प्रेम की गाथाये आज भी ब्रिज की गलियो में  शोर से कई कई परम्पराओ के रूप में मनाई जाती है यहाँ की होली तो विश्व में प्रसिद्ध है इसे देखने के लिए कई देशो से लोग आते है उनमे से कुछ तो ऐसे होते है जो कि यही यही के होकर रह जाते है उनके हृदय में राधा और कृष्ण की मूरत बस जाती है वे यहाँ की मांटी में रच पच जाते है यहाँ के पहनावे को ही अपना लेते है 
 मथुरा ,वृन्दावन में राधा श्री कृष्ण के सैकड़ो मंदिर है हर गली गली मौहल्ले मौहल्ले उनके मंदिरो को नए नए रूप में देखकर श्रद्धालु अपने मन में बड़ी प्रसन्नता महसूस कर अपने आप को भाग्यशाली  समझते है क्योकि उनकी लीलाओ को देखकर मन आनंदित हो मयूर की भाति नाचने लगता है  यहाँ की रास लीलाये जगत प्रसिद्ध है इस रस में सराबोर होने के लिए स्वयं ब्रह्मा  विष्णु महेश भी रूप बदल बदल कर आये  और प्रभु की लीलाओ का अमृतरस पान किया जो भी इस रस सागर में डूबता है तो उसे अगला आनंद का सागर दिखाई देने लगता है और उसमे वह उतरता हुआ अंदर ही अंदर प्रेमालिप्त होता हुआ आत्म विभोर होकर प्रभु के चरणो में पूर्ण लीन हो जाता है किसी ने खूब कहा है राधे कृष्णा गाये जा ,नाम रस पाये जा । इसी  लीनता के लिए तो लोग साधू ,सन्यासी बन जाते है और चाहे बड़े से  बड़ा  योगी ,यति ,सन्यासी हो जाए पर वह भी जब तक ,मथुरा वृन्दावन की धूलि में वास नहीं कर लेता तब तक उसको न तो प्रसिद्धि ही मिलती है और न ही मोक्ष  और प्रभु के चरणो में तो पूर्ण प्रेमानंद प्राप्त होता है जहा पहुंचकर मुक्ति भी पानी भरती है कहने का मतलब मुक्ति से प्रेम  का आनंद हजार गुना ज्यादा होता है  तब उस मुक्ति को कौन पूछे यहाँ तो मनुष्य ही नहीं देवता भी दर्शनों के लिए जन्म लेकर प्रेमानंद को पाने के लिए आते ही रहते है  महारास के समय तो उच्चकोटि की गोपियों के आलावा शिव को भी गोपी रूप में आकर रासलीला में भाग लेना पड़ा । 
                                                               
यमुना महारानी                    
yamuna in mathura
                                                

बिना यमुना मैया के राधा कृष्ण का प्रेम अधूरा है क्योकि श्याम यमुना के तट पर जब बंशी बजाते थे तब राधा बंशी की आवाज़ सुनकर भागी चली आती थी घंटो घंटो एकचित होकर बंसी को सुनना राधा को अच्छा लगता था  सिर्फ राधा ही नहीं आस पास के मोर ,पंछी और उनकी गाये और  के सभी प्राणी बंसी की धुन पर नाचते थे उस समय ऐसा लगता था जैसे  प्रकृति वनही कृष्ण के साथ नाच रही हो तब राधा उनकी बांसुरी को लेकर भाग जाती थी और कृष्ण उनके पीछे पीछे भागते थे ये बड़े ही अद्भुत दृश्य थे उस समय देवता देखकर दांतो तले उंगली दबाते थे कि पूरी सृष्टि को नचाने वाला आज स्वयं एक लड़की के पीछे भाग रहा है स्वयं यमुनाजी भी कृष्ण की पटरानी थी वह सब जानती थी कि प्रभु यह सब  लीला कर रहे है कृष्ण जब छोटे थे तब स्वयं गायो को चराने वन में ले जाते थे गाये भी कृष्ण से बड़ा ही प्रेम करती थी और कृष्ण के कंधे पर अपना सिर रख देती थी कृष्ण उन्हें अपने गले से लगाकर प्यार करते थे यह सब देखकर ब्रह्मा को भी मति भ्रम हो गया और सोचने लगे की भगवान ऐसा नहीं हो सकता जो वन में मारा मारा फिर रहा है और सखाओ के साथ खेलता है और थोड़े से मक्खन के पीछे चोरी करता है तब ब्रह्मा ने सारी गाय और बछड़े चुरा लिए मगर कृष्ण तो साक्षात ईश्वर थे वे सब समझ गए उन्होंने अपनी माया शक्ति के माध्यम से फिर से गाय और बछड़े बना दिए तब ब्रह्माजी का भ्रम टूटा और कृष्ण से अपने कृत्य के लिए माफ़ी मांगी तभी तो उनको मायाधीश कहा जाता है आगे कृष्ण ने कंस का वध करके मथुरा को राक्षसो से मुक्ति दिला दी यहाँ के मंदिरो में बांके बिहारीजी का मंदिर , रंगजी का मंदिर ,टेड़े खम्बे वाला मंदिर,प्रेम मंदिर ,पागल बाबा का मंदिर ,वैष्णो माता का मंदिर ,बिरला मंदिर ,गायत्री मंदिर ,भूतेश्वर महादेव का मंदिर ,रंगेश्वर महादेव का मंदिर और सबसे प्रसिद्ध कृष्ण जन्म भूमि का मंदिर ,द्वरिकाधीशजी का मंदिर ,अक्षय पात्र मंदिर और इस समय बन रहा भारत का सबसे उँच्चा मंदिर चंद्रोदय मंदिर अत्यधिक प्रसिद्ध है यहाँ टूर की  दृष्टि से बहुत कुछ देखने के लिए है यह होटलों की कोई कमी नहीं है जिससे रहने खाने पीने में कोई दिक्कत नहीं आती है कृष्ण जन्माष्टमी पर तो यहाँ के जन वासियो की तरफ से पूरे ब्रिज में हजारो भंडारों का आयोजन होता है किसी को भी भी खाने पीने के लिए एक रुपया भी खर्चा करने की जरूरत नहीं है अतः यहाँ सम्पूर्ण रूप से राधा और कृष्ण का नाम हर ओर गूजता सुनाई पड़ता है  


आपका -योगी चिंतन